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दादी जानकी का 104 साल की उम्र में देहावसान- पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार संपन्न
नारी शक्ति की प्रेरणास्रोत राजयेागिनी दादी जानकी का जन्म 1 जनवरी, 1916 को हैदराबाद सिंध, पाकिस्तान में हुआ था। वे 21 वर्ष की उम्र में ब्रह्माकुमारीज संस्थान के आध्यात्मिक पथ को अपना लिया था और पूर्णरुप से समर्पित हो गयी थी। आध्यात्मिक उड़ान में शिखर छू चुकी राजयोगिनी दादी जानकी मात्र चौथी तक पढ़ी थी। लेकिन आध्यात्मिक आभा से भरपूर भारतीय दर्शन, राजयोग और मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए 1970 में पश्चिमी देशों का रुख किया। दुनिया के 140 देशों में मनवीय मूल्यों के बीजारोपण के हजारों सेवाकेन्द्रों की स्थापना कर लाखों लोगों को एक नयी जिन्दगी दी।
रायजोगिनी दादी जानकी ने पूरे विश्व में मन, आत्मा की स्वच्छता के साथ बाहरी स्वच्छता के लिए अनोखा कार्य किया। जिसके लिए भारत सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन की ब्रांड अम्बेसडर बनाया था। दादी जानकी के देहावसान की खबर सुनते ही देश विदेश के संस्था के अनुयाईयों ने भावभीनी के लिए योग साधना प्रारम्भ कर दी है। उनके पार्थिव शरीर को माउण्ट आबू से आबू रोड के शांतिवन लाया गया तथा दोपहर 12 बजे उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
इन्होंने दी श्रद्धांजलिः दादी जानकी अंतिम दर्शन में संस्थान की संयुक्त मुख्य प्रशासिका रजायेागिनी दादी रतनमोहिनी, संस्थान मे महासचिव बीके निर्वेर, अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन, मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष बीके करुणा, कार्यक्रम प्रबन्धिका बीके मुन्नी, संस्थान के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय, यूरोपियन सेवाकेन्द्रों की प्रमुख बीके जयन्ति, दादी की सचिव बीके हंसा समेत वरिष्ठ पदाधिकारियों ने श्रद्धांजलि दी।
लाईव कराया गया पार्थिव देह का दर्शनः पूरे देश में लाक डाउन होने के कारण संस्थान के लेाग दादी के पार्थिव देह पर श्रद्धांजलि अर्पित नहीं कर सके। लेकिन देश विदेश के संस्था से जुड़े लोगोें को यूटयूब तथा लाईव टेलिकास्ट के जरिए अंतिम दर्शन कराया गया।