Brahma Kumaris
Dedication of Avyakt Lok in Memory of Dadi Hriday Mohini

ब्रह्माकुमारीज की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी हृदय मोहिनी की स्मृति में अव्यक्त लोक का लोकार्पण-
Dedication of Avyakt Lok in Memory of Dadi Hriday Mohini, Former Chief of the Brahma Kumaris
ब्रह्माकुमारीज की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी हृदय मोहिनी (दादी गुलजार) की स्मृति में नवनिर्मित स्मृति स्तंभ अव्यक्त लोक का दादी की प्रथम स्मृति दिवस दिव्यता दिवस के रूप में मनाया गया। दादी गुलजार की स्मृति में बने अव्यक्त लोक का शुक्रवार को लोकार्पण किया गया। सुबह 8 बजे सबसे पहले संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका बीके मोहिनी, राजयोगिनी बीके जयंती, महासचिव बीके निर्वैर भाई, अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन, संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके मुन्नी दीदी द्वारा दादी गुलजार को पुष्पांजलि अर्पित की गई। इसके बाद अन्य वरिष्ठ भाई-बहनों सहित देश-विदेश से आए हजारों भाई-बहनों ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। यह सिलसिला दिनभर चलता रहा। बता दें कि 11 मार्च 2021 को ब्रह्माकुमारीज की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी हृदय मोहिनी का मुंबई के सैफी हॉस्पिटल में देवलोकगमन हो गया था।
दिव्यता दिवस पर दादीजी की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में कई पुरस्कारों से सम्मानित भारतीय नौसेना के उप प्रमुख वॉइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने कहा कि आज ब्रह्माकुमारीज संस्थान के इस अंतरराष्ट्रीय मंच से मैं यही कामना करता हूं कि जल्द विश्व में फिर से शांति हो। मेरी यही शुभ भावना है कियूक्रेन और रूस के बीच रहा युद्ध जल्द समाप्त हो। जिस तरह ब्रह्माकुमारीज संस्था विश्व शांति को लेकर कार्य कर रही है, निश्चित ही एक दिन वह अपने मिशन में सफल होगी। उन्होंने आगे कहा कि मुझे दादी गुलजार जी से मिलने का मौका मिला। जब भी दादीजी से मिलता तो एक अलग ही दिव्य अनुभूति होती थी।
संस्थान के सचिव बीके निर्वैर भाई ने कहा कि दादीजी का जीवन लाखों भाई-बहनों के लिए मिसाल था। न्यूयार्क में ब्रह्माकुमारीज की निदेशिका व संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका बीके मोहिनी दीदी ने कहा कि दादीजी का एक-एक कर्म उदाहरण मूर्त था।संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके जयंती दीदी ने कहा कि दादीजी ने ताउम्र परमात्मा का संदेशवाहक बनकर अथक सेवाएं कीं।
संयुक्त मुख्य प्रशासिका डॉ. निर्मला दीदी ने कहा कि दादी गुलजार बहुत ही नम्रचित्त थीं। बाबा का जो भी आदेश होता था तो तुरंत उसे करने में जुट जाती थीं। संस्थान के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय भाई ने कहा कि आज के दिन को हम दिव्यता दिवस के रूप में मना रहे हैं। क्योंकि दादी गुलजार का संपूर्ण जीवन दिव्यता से परिपूर्ण था।
रशिया के सेवाकेंद्रों पर सेवाएं दे रहीं बीके सुधा, डॉ. अशोक मेहता, बीके चार्ली ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके संतोष, संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके शशि मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष बीके करुणा, ओआरसी की निदेशिका बीके आशा समेत कई लोग उपस्थित थे।मंच संचालन रशिया के सेवाकेंद्रों की निदेशिका बीके संतोष ने करते हुए दादीजी के साथ के अपने अनुभव को साझा किया।
दादी गुलजार का मुंबई में इलाज करने वाले डॉ. आकाश शुक्ला ने कहा कि जब पहली बार दादीजी से मिला तो ऐसा अनुभव हुआ कि मैं एक दिव्य आत्मा से मिल रहा हूं। दादी से मिलने के बाद मेरा जीवन पूरी तरह बदल गया। मैंने दादीजी को देखा कि उनमें गजब का संयम, धैर्य था। तीन साल में दादी के इलाज के दौरान कम से कम तीन सौ बार मिला। इस दौरान मात्र दादी ने दो सौ शब्द ही बोले थे। कम बोलो, धीरे बोले और मीठा बोलो इस महावाक्य की दादी साक्षात जीती जागती मिसाल थीं। दादी की अपने शरीर के ऊपर पूरा नियंत्रण रहता था। इतने कष्ट के बाद भी दादी के चेहरे पर कभी शिकन नहीं देखी। वह हमेशा शांत रहती थीं।