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Rural Wing E-Conference : कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग इ सम्मेलन – समापन सत्र : आध्यात्मिकता द्वारा आत्मनिर्भर भारत

आध्यात्मिकता द्वारा आत्मनिर्भर भारत
कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग के ई सम्मेलन केे समापन सत्र में गुरुग्राम से इन्टरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर बी के शिवानी ने कहा कि अगर आत्मा शक्तिशाली होगी तो उसका सोचना, समझना और निर्णय उत्तम होगा। राजयोग को हम ध्यान करना कहते है ध्यान करना अर्थात ध्यान रखना। हमें कार्य करते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि संकल्प से सृष्टि बनती है अगर संकल्प उच्च तथा शुभ भावना युक्त है तो पूरी सृष्टि भी सहयोगी होगी। आज हमारा मन दूषित है तो इसी कारण प्रकृति भी दूषित हो गई। इसका दुष्परिणाम आज हमें भुगतना पड़ रहा है। यौगिक कृषि पद्धति में कृषक का मन परमात्मा से जुड़ा होता है। इसके परिणाम स्वरूप मन सशक्त और प्रकृति स्वच्छ तथा सहयोगी बनती है।
मुम्बई से नाबार्ड के डी.जी.एम बी के राजेश दवे ने कहा कि आत्म निर्भर किसान ही देश को आत्मनिर्भर बना सकता है। आज सरकार का नारा है सब का साथ-सब का विकास-सब का विश्वास। आध्यात्मिकता ही किसानों में विश्वास जगाकर उन्हें आत्मनिर्भरता बना सकती है।
नई दिल्ली से भारत सरकार के केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री भ्राता कैलाश चौधरी ने कहा कि संस्थान द्वारा किसानों को आध्यात्मिकता के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास सराहनीय है। देश को आत्मनिर्भर बनाना वर्तमान सरकार का नारा है। यह हम सब की जिम्मेवारी है इस जिम्मेवारी को संस्थान बहुत अच्छे से निभा रही है। इस दौरान उन्होंने विभिन्न सरकारी योजनाओं को स्पष्ट किया जो किसानों के लाभार्थ सरकार ने शुरु की।
माउण्ट आबू से कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग के उपाध्यक्ष बी के राजू भाई ने कहा कि हमारे देश में किसान ही ऐसी कड़ी है जो देश को आत्मनिर्भर और सशक्त बना सकती है। इसके लिए किसानों को पहले आत्मनिर्भर बनना होगा। आध्यात्मिकता द्वारा ही किसान सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकता है। एक सशक्त किसान अपनी भावनाओं को संयमित तथा शुभ रखता है जिससे पेड़- पौधों तथा पशु-पंछियों को भी भावनात्मक सहानुभूति मिलती है।
लखनऊ से उप कृषि निदेशक डॉ. सी. पी. श्रीवास्तव ने कहा कि मनुष्य ने अपने स्वार्थ के कारण प्रकृति का दोहन किया है। इसका दुष्परिणाम अनेक महामारियॉं हमारे सामने आ रही हैं। हम जितना भौतिकवाद की तरफ बढ़े हैं उतना ही हमारा जीवन कठिन हो गया है। वर्तमान समय की मांग है कि किसान आत्मनिर्भर और आध्यात्मिक हो।
पूणे से कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका बी के सुनन्दा ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस दौरान उन्होंने सभी से राजयोग को अपने जीवन में अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि राजयोग से हम तन-मन-धन-जन चारों प्रकार से स्वस्थ तथा सशक्त बनते है।
इस सत्र का कुशल संचालन करते हुए आदिपुर से तोलाणी आर्ट्स एण्ड सायन्स कोलेज के प्रोफ़ेसर बी के किरण ने कहा कि अपने अहम् और वहम् से जल्दी जागना फायदेमंद होता है। इस कान्फ्रेस से हमें जो नई दिशा प्राप्त हुई है अब हमें आगे बढ़कर आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है।
कार्यक्रम के आरम्भ में कटक की बालिकाओं ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। अन्त में लखनऊ से एक्जिक्यूटिव मेम्बर बी के बद्री विशाल ने किसानों के आत्म सम्मान में कविता प्रस्तुत की तथा दुर्ग के प्रसिद्ध गायक बी के युगरतन ने सुंदर गीत प्रस्तुत किया।
इस सम्मेलन में आन लाइन तथा यू टयूब तथा अवेकनिंग टीवी के माध्यम से हजारों लोगों ने लाभ लिया।
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