Agricultural & Rural Wing
LIVE खुला सत्र – 3: विषय: सम्पूर्ण ग्राम विकास के लिए सुनियोजित कदम | सुबह 10.00 से 12.00, 15-06-2024

पेनेल डिस्कशन:- विषय: राजऋषि ग्राम दत्तक योजना | 15-06-2024 | सायं 04.30
समापन सत्र:- विषय: स्वर्णिम, सशक्त एवं आत्मनिर्भर भारत का पुन:निर्माण | 15-06-2024 | सायं 06.30
माउंट आबू ज्ञान सरोवर
आज ज्ञान सरोवर के हार्मनी हाल में राजयोग एजुकेशन & रिसर्च फाउंडेशन की भगिनी संस्था ब्रह्मा कुमारीज कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ. सम्मेलन का विषय था, भारतीय कृषि दर्शन एवं संपूर्ण ग्राम विकास. सम्मेलन मे इस विषय पर गंभीर चर्चा हुई. इस सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संखया में किसानों कृषि वैज्ञानिकों तथा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और कुलपतियों ने भाग लिया.
दीप प्रज्वलन द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन संपन्न किया गया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ब्रह्माकुमारी संस्थान के अतिरिक्त महासचिव राजयोगी ब्रह्मा कुमार बृजमोहन भाई जी ने अपने विचार प्रस्तुत किए.
आपने कहा कि एक समय था जब मनुष्य प्रकृति के साथ संपूर्ण सामंजस्य की स्थिति में थे. उस समय हमारा पूरा समाज संपूर्ण सुखी और आनंद की अवस्था में था. लंबे समय तक दुनिया में इस प्रकार का काल रहा जो स्वर्ण काल के नाम से जाना गया.
बाद में धीरे-धीरे करके मनुष्यों ने प्रकृति का दोहन शुरू किया. प्रकृति को नष्ट करना शुरू किया. भूमि में रसायनों का अत्यधिक प्रयोग करना शुरू किया. अधिक अनाज की प्राप्ति के लिए ऐसे सारे कुकर्म किए गए. हवा और पानी तक प्रदूषित हो गई. जिस भूमि ने संसार के हर प्राणी को जरूरत की सारी चीज बिल्कुल शुद्ध तरीके से प्रदान की थी, अब भूमि से प्राप्त होने वाले पदार्थ दूषित प्रदूषित होने लगे और दुनिया में बीमारियां बढ़ने लगी.
आज अगर मनुष्य का नेचर बदल जाए, तो यही वाह्य नेचर यानी कि बाहरी प्रकृति फिर से मनुष्य मात्र का भरपूर सहयोग करने लगेगी.
अपनी आंतरिक प्रकृति को बदलने के लिए हमें योग की स्थिति में आना होगा. परमपिता परमात्मा से योग युक्त होकर हमें अपने अंदर ईश्वर की सारी शक्तियों को धारण करना पड़ेगा. अपने अंदर जब हम इस प्रकार की शक्तियों को संजो लेंगे तो हम फिर से एक बार इस बाहरी प्रकृति का पूरा सम्मान करेंगे. पेड़ पौधों का संरक्षण करेंगे जिससे कि हर प्रकार के जीव मात्र का प्राणियों का कल्याण होने लगेगा. बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण से दुनिया सुंदर लगेगी और धीरे-धीरे स्वस्थ हो जाएगी. यही है भारतीय दर्शन जहां की उस काल में प्रकृति के प्रति पूरा सम्मान प्रकट किया जाता था और प्रकृति से प्रेम किया जाता था.
संस्थान की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी सुदेश दीदी ने इस सम्मेलन को अपना आशीर्वचन दिया.
आपने कहा कि प्रकृति और संस्कृति अनादि है. हम आत्माएं भी अनादि और शाश्वत हैं. पांच तत्वों का यह शरीर भी प्रकृति से निर्मित है.
दुनिया का यह खेल पुरुष और प्रकृति का खेल है.
पुरुष और प्रकृति के इस खेल को अच्छी तरह समझेंगे तो खेल रोचक लगेगा और आनंद आएगा.
हम सभी इंसान यहां कर्मों की खेती करते हैं. श्रेष्ठ कर्मों की खेती करने से संसार और समाज श्रेष्ठ बना रहता है.
आज खेती वरदान ना होकर श्राप बन गया है. अधिक प्राप्ति की आशा में हमने अपनी भारत भूमि को रसायन और उर्वरकों के प्रयोग से बर्बाद कर दिया. भूमि के इस करप्शन को सुधारना है.
परमपिता परमात्मा के साथ अपनी आंतरिक प्रकृति को जोड़कर अपने अंदर देवत्व भरना पड़ेगा.
देवत्व की प्रकृति से हम इस बाहरी प्रकृति के साथ अपना संपूर्ण प्रेम प्रदर्शित करेंगे और भारत के गांव का विकास कर सकेंगे.
केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय इंफाल के कुलपति डॉक्टर अनुपम मिश्रा ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, भारत जैसे महान देश से हम सभी का गहरा संबंध है. 17वीं शताब्दी में भारत दुनिया की जीडीपी में 47% का योगदानकरता था. आज हम मात्र पांच ट्रिलियन इकोनामी बनने के लिए प्रयास रत हैं.
मैं इतना सुंदर कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजकों का हार्दिक धन्यवाद करता हूं. इस प्रकार के आयोजन से ही आज का हमारा समाज जीवन निर्वाह कर रहा है.
मनुष्य मात्र के जीवन में जब तक स्पिरिचुअल कोसेंट का प्रादुर्भाव नहीं होगा, हम उन्हें शिक्षित नहीं कह सकेंगे.
ब्रह्मा कुमारीज की शिक्षाएं हमें उपयुक्त रीति से जीवन जीना अर्थात जीवन शैली सिखलाती हैं.
ईश्वर से योग स्थापित करके हम अपने जीवन में श्रेष्ठता लाकर हर प्राणी मात्र और प्रकृति से सामंजस्य स्थापित करते हैं और तब संसार रामराज्य अथवा एक गोकुल गांव की तरह होता है.
महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय उदयपुर के कुलपति डॉक्टर अजीत कुमार कर्नाटक ने विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मेलन को बताया कि आजादी के समय हमारे देश की आबादी 32 करोड़ थी.
इतनी बड़ी जनसंख्या के भूख पूर्ति के लिए हमें भरपूर अनाज़ चाहिए था.
इसके लिए हमारे किसानों और वैज्ञानिकों ने बहुत जी तोड़ श्रम किया. अधिक अनाज उत्पन्न करने में तो हम सफल हुए मगर क्वांटिटी के चक्कर में हमारी क्वालिटी समाप्त हो गई.
आप सभी को पता होगा पंजाब से एक ट्रेन चलती है जिसको कैंसर एक्सप्रेस कहा जाता है.
इस ट्रेन में तमाम कैंसर पेशेंट होते हैं जो इलाज के लिए पंजाब से बाहर प्रस्थान करते हैं.
इसका प्रमुख कारण यह हुआ कि पंजाब में उर्वरकों और रसायनों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग किया गया. कैंसर के रूप में इसका दुष्परिणाम हमारे सामने आया.
अब हमें एक बार फिर से भारतीय कृषि संस्कृति को अपनाना होगा.
स्वयं को ईश्वर के साथ योग अवस्था में लाकर, परमपिता परमात्मा की दिव्यता श्रेष्ठता और मूल्यों को धारण करना होगा.
प्रकृति के साथ संपूर्ण सामंजस्य बनाकर, रसायनों के प्रयोग के बिना गौ माता का आशीर्वाद लेकर कृषि का संचालन करेंगे.
एक बार फिर से देश रामराज जी की तरफ बढ़ेगा.
कृषि निदेशालय लखनऊ से पधारे हुए डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर बद्री विशाल तिवारी ने आज के इस सम्मेलन का केंद्रीय थीम सम्मेलन के समक्ष रखा.
आपने बताया कि जब संसार में भारतीय संस्कारों का अच्छी रीति पालन किया जाता था तो संसार राम राज्य था स्वर्ग था.
उस समय भारतीय संस्कारों के अनुरूप ही कृषि के भी संस्कार संपन्न होते थे.
17वीं शताब्दी तक भारत को सोने की चिड़िया माना जाता था.
राजा विक्रमादित्य के काल को भी स्वर्ण काल माना जाता है.
तब हम सभी प्रकृति के प्रति अपना संपूर्ण प्रेम प्रकट करते थे.
कृषि और अलग-अलग प्रकार के कुटीर उद्योग के आधार पर ही भारतवर्ष अपने लोगों का पालन करता था.
आज हमने भारत की प्राचीन कृषि व्यवस्था को पलट दिया है,
और इसका दुष्परिणाम हमारे सामने है.
प्रकृति से पूरा प्रेम गहरा प्रेम स्थापित किए बिना हम आज ग्राम विकास की कल्पना नहीं कर सकते.
हमारी कृषि कालांतर से ही दर्शनशास्त्र से संबंधित रही थी.
तब सब कुछ अति उत्तम रीति से संचालित होता था.
परंतु जब हमने हमारे कृषि दर्शन को अर्थशास्त्र से जोड़ा, उसी के बाद धीरे-धीरे करके हम विपत्तियों से घिरते चले गए.
इसके समाधान के लिए हमें एक बार फिर से यौगिक खेती को अपनाना होगा.
ईश्वर से योग युक्त होकर आत्म बल की वृद्धि करके हम प्रकृति का संरक्षण करेंगे. प्राचीन भारतीय संस्कृति के हिसाब से कृषि कार्य का संपादन करेंगे और एक बार फिर हमारी व्यवस्था राम राज्य जैसी होगी.
ब्रह्मा कुमारीज कृषि एवं ग्रामीण विकास विभाग की अध्यक्षा राज योगिनी सरल दीदी ने भी अपने विचार प्रकट किए.
आपने इस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए पधारे हुए सभी कुलपति और वैज्ञानिकों और कृषकों का हार्दिक आभार प्रकट किया.
आपने उन सभी का आह्वान किया कि आने वाले दो दिनों में
यौगिक खेती का मर्म गहराई से बताया जाएगा जिसको वह समझकर अपने-अपने स्थान पर जाकर, इस यौगिक खेती को अपने और विश्व के कल्याण के लिए लागू कर पाएंगे.
यौगिक खेती के लिए मात्र इतना करना है कि अपना योग सर्वोच्च सत्ता परमपिता परमात्मा से लगाकर उनकी शक्तियां लेनी है.
प्रकृति के हर जीव के प्रति प्रेम और सहयोग करना है.
कृषि एवं ग्राम विकास विभाग के मुख्यालय संयोजक ब्रह्मा कुमार सुमंत भाई ने सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया.
कृषि एवं ग्राम विकास विभाग की नेशनल कोऑर्डिनेटर राज योगिनी तृप्ति बहन ने कार्यक्रम का अद्भुत संचालन किया.
इससे पहले मधुर वाणी ग्रुप ने सुंदर गीत प्रस्तुतीकरण द्वारा पधारे हुए अतिथियों का स्वागत किया.
अतिथियों को प्रसाद और ईश्वरीय सौगात दिए गए.
सफल खुशहाल जीवन के सूत्र
एक नई सोच, नई दिशा और उत्तम कृषि
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