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Media Seminar at Raipur

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प्रेस विज्ञप्ति
वर्तमान मीडिया बाजारवाद से प्रभावित… राजीव रंजन नाग
रायपुर, १७ दिसम्बर: प्रेस कौंसिल ऑफ इण्डिया के सदस्य राजीव रंजन नाग ने कहा कि आजकल खबरों पर बाजार हावी हो गया है। मीडिया के क्षेत्र में जीवन मूल्यों का पतन चिन्तनीय है। इसका बुरा असर समाज पर भी पड़ रहा है।
श्री राजीव रंजन नाग आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा मार्ग  स्थित शान्ति सरोवर में ब्रह्माकुमार ओमप्रकाशजी की दूसरी पुण्यतिथि पर आयोजित छत्तीसगढ़ मीडिया सेमीनार में बोल रहे थे। विषय था- मीडिया के समक्ष मूल्यगत चुनौतियाँ। उन्होंने आयोजन के लिए ब्रह्माकुमारी संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि दुनिया में अनेक संस्थाएं हैं लेकिन ऐसे आध्यात्मिक संस्थान बहुत कम हैं जो कि मीडिया को साथ लेकर चलते हों।
उन्होंने आगे कहा कि सामाजिक बदलाव के लिए मीडिया अहम भूमिका निभा सकता है। क्योंकि मीडिया जो दिखाता है उसका सीधा असर समाज पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि समाज में मूल्यों का जो पतन हुआ है उसका असर मीडिया पर भी पड़ा है। सबसे अधिक असर टेलीविजन पर हुआ है। आने वाले दिनों शायद और भी बुरे दिन देखने का मिल सकते हैं। इसका प्रमुख कारण हैं कि बड़े-बड़े कार्पोरेट हाउस स्वयं का अखबार निकालने लगे हैं।
उन्होंने बतलाया कि मीडिया में मूल्यों का पतन एकाएक नहीं हुआ है। इसका एक कारण समझौतावाद का हावी होना है। आजकल खबरों पर बाजार का अधिकार हो गया है। आजादी के इतने साल बाद भी हमारे देश में स्वतंत्र लेखन सम्बन्धी कोई कानून नहीं बना है। उन्होंने मीडिया कर्मियों को सचेत करते हुए कहा कि  मीडिया को अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए जनता की समस्याओं से अपने को जोडऩा होगा। तथा तथ्यों को उसके उसी स्वरूप में रखना होगा। अन्यथा लोग आपको नकार देंगे।
कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मानसिंह परमार ने ब्रह्माकुमार ओमप्रकाशजी को श्रद्घाजंलि देते हुए कहा कि उन्होंने मूल्यनिष्ठ मीडिया के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी मूल्यों का समावेश होना चाहिए। मीडिया के क्षेत्र में व्यवसायियों के आ जाने से कलम तो पत्रकारों का है लेकिन स्याही मालिक की हो गई है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति इलेक्ट्रानिक मीडिया की है। वह अपना ज्यादा समय विवादों में लगाने पर चर्चा की बजाए समाज की विसंगतियों को उठाने पर दे तो अच्छा होगा।
माउण्ट आबू से पधारे ज्ञानामृत के सम्पादक ब्रह्माकुमार आत्मप्रकाश ने कहा कि चुनौतियाँ तो आएंगी लेकिन जीवन में अगर दृढ़ता हो तो उसका सामना कर सफलता प्राप्त कर सकेंगे। समाज ने बहुत उन्नति की है किन्तु फिर भी लोगों के जीवन में आन्तरिक खुशी नहीं है। ऐसे में एक और क्रान्ति की जरूरत महसूस हो रही है।
हरिभूमि के प्रधान सम्पादक हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि मूल्यगत चुनौतियाँ तो जीवन में हमेशा से रही हैं। चुनौतियाँ जीवन में जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि लोकहित की भावना पत्रकारिता को सार्थकता प्रदान करती है। समस्या तब पैदा होती है जब लोकहित के स्थान पर स्वहित को प्रमुखता देने लगते हैं।
दैनिक भास्कर के सम्पादक शिव दुबे ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि क्या हम लोग मूल्यगत कार्य करने में सक्षम हैं। हम लोग चाहते तो हैं कि भगत सिंह पैदा हों लेकिन अपने घर में नहीं बल्कि पड़ोसी के घर में। उन्होंने बतलाया कि सोशल मीडिया के दौर में प्रिन्ट मीडिया के आगे वजूद बनाए रखने का संकट पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि बदलाव के दौर में मीडिया को भी बदलना होगा।
वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती हमारी अन्र्तात्मा है। अगर उसकी आवाज को सुनकर चलते हैं तो सफलता मिलती रहेगी। जो लोग मूल्यों पर टिके रहते हैं उनको समाज वर्षों तक याद रखता है। उन्होंने कहा कि मीडिया के आगे अनेक चुनौतियाँहै जैसे के सत्ता और धनबल की चुनौती। लेकिन जनता का समर्थन सारी चुनौतियों के बीच रास्ता दिखाता है।
अमृत सन्देश के प्रधान सम्पादक गोविन्द लाल वोरा ने कहा कि पत्रकारिता करना तलवार की धार पर चलने के समान है। एक समय था जबकि लोग समाचारों के लिए सिर्फ प्रिन्ट मीडिया पर ही निर्भर हुआ करते थे। आज उसकी जगह इलेक्ट्रानिक मीडिया ने ले ली है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए मीडिया को दबाव से मुक्त रखना होगा। समाचार पत्र-पत्रिकाएं जिन्दा हैं तो ही लोकतंत्र कायम है।
मासिक पत्रिका राजीखुशी के सम्पादक कमल दीक्षित ने कहा कि पत्रकारिता को रक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके बावजूद मीडिया ने जोखिम लेकर अनेक बातों को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि जब तक पत्रकारिता सचेत और सजग है तब तक लोग आराम से सो सकते हैं।
इस अवसर पर क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी और दूरदर्शन के केन्द्र निदेशक संजय प्रसाद ने भी अपने विचार रखे। प्रारम्भ में स्वागत भाषण छत्तीसगढ़ योग आयोग की सदस्या ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने किया। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी प्रिंयका बहन ने किया। सेमीनार में रायपुर के अलावा आसपास के अन्य शहरों के भी पत्रकार बहुत बड़ी संख्या में भाग लिया।

 

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