Art & Culture Wing
Art and Culture Wing Conference Gyansarovar

आज ज्ञान सरोवर के हार्मनी हाल में राजयोग एजुकेशन & रिसर्च फाउंडेशन की भगिनी संस्था कला एवं संस्कृति प्रभाग द्वारा एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ. सम्मेलन का विषय था, प्रेम शांति और सद्भाव. सम्मेलन मे इस विषय पर गंभीर चर्चा हुई. इस सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संखया में कलाकारों, शिल्पकारों तथा कला और शिल्प से जुड़े हुए सिने जगत के अदाकारों ने भाग लिया. दीप प्रज्वलन द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन संपन्न किया गया.
इस सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए ब्रह्माकुमारीज़ के अतिरिक्त महासचिव राजयोगी बृजमोहन भाई जी ने अपने विचार रखें. आपने बताया कि इस ब्रह्मांड का सबसे बड़ा कलाकार है परमपिता परमात्मा. परमपिता परमात्मा ने अरबों खरबों माटी के पुत्रों को जन्म दिया और उनमें प्राण फूंक दिया. यह अरबों खराबों पुतले अपने आप में यूनिक हैं, क्योंकि एक दूसरे से नहीं मिलते . इन सभी की अपनी अलग-अलग भूमिकाएं भी हैं. इन सभी कलाकारों की भूमिकाएं अद्भुत हैं.
आपने कहा कि इस रंगमंच के, संसार रूपी इस रंगमंच के हम सभी रियल कलाकार हैं. हमें अपनी अदाकारी में विशेषता उत्पन्न करनी है. हमें अपने अंदर में पूरे जगत के लिए प्रेम पैदा करना है. प्रेम पूर्ण जीवन सुखी और आनंद मय जीवन होता है. ऐसे अदाकारों के जीवन में शांति भी होती है और समरसता होती है. प्रेम हम सभी अदाकारो के जीवन का मूल है.कई बार जब हम यह भूल जाते हैं कि हम एक्टर्स हैं, तब हमारे जीवन में संघर्ष प्रारंभ होता है. हमें ईमानदारी से अपने-अपने रोल का निर्वाह करना है.
परमात्मा ही प्रेम का और शांति का सागर है. प्रेम और शांति हम सभी कलाकारों को परमात्मा से ही मिलेगी. अतः हम सभी कलाकारों को परमपिता परमात्मा से युक्त होकर अपनी अपनी भूमिका का निर्वाह करना चाहिए.
ब्रह्माकुमारी संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका तथा ज्ञान सरोवर परिसर की डायरेक्टर राजयोगिनी सुदेश दीदी जी ने भी अपने आशीर्वचन सम्मेलन में पधारे हुए लोगों को दिए.
आपने कहा कि हम सभी एक्टर्स हैं इस सृष्टि रूपी रंगमंच पर. हमें अनुभव सहित अपनी -अपनी भूमिकाओं को प्ले करना चाहिए. अनुभव हमें सफलता के शिखर पर ले जाता है. एक छोटे बच्चों को भी इस बात का अनुभव होता है की मां उसकी तरफ अटेंशन दे रही है या उनका ध्यान कहीं और है.
मां के प्रति बच्चे का और बच्चे के प्रति मां का प्यार ऐसा एहसास बनाता है. आज की दुनिया में हर व्यक्ति को हर संस्था को प्रेम चाहिए. क्योंकि आज हर तरफ Shown का अभाव है. प्रेम के अभाव का कारण है कि आज का प्रेम भ्रष्ट हो गया है. आज का प्रेम स्वार्थी प्रेम हो गया है इसमें विकार समा गए हैं. आज के तथाकथित प्रेम में अशुद्धियां लिप्त हो गई हैं. मोह समा गया है.शुद्ध प्रेम प्राप्ति के लिए हमें अपने आप को और अपनी भूमिका को ईमानदारी से निभाना होगा.
निःस्वार्थ प्रेम ही सुखद होता है.
परमात्मा का प्रेम रूहानी है, दिव्य है.
आपने PEACE के सभी लेटर्स को लेकर इसका विस्तार करके बताया. आपने कहा कि जब हम सक्रिय हैं, हम दुनिया को स्वीकार करते हैं, तब हमारे मन में संवेदना और समरसता का प्रदुर्भाव होता है.
आज के सम्मेलन के मुख्य अतिथि, हरियाणा से पधारे हुए माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष, ईश्वर सिंह जी ने भी अपने विचार रखें . आपने कहा कि इस सम्मेलन में आकर मैं बहुत आनंदित हूं प्रसन्न हूं. मैं मानता हूं कि संसार का सबसे बड़ा कलाकार ईश्वर ही है.
हम माटी के पुतले तो बनाते हैं मगर उसमें प्राण नहीं डाल पाते.मगर परमात्मा ने हम माटी के पुतलों में प्राण फूंक कर हमें सजीव और सक्रिय बना दिया है.
हम संसार को बेहतर बनाने के लिए अपना प्रयत्न करते रहते हैं.
कला एवं संस्कृति प्रभाग की अध्यक्षा राजयोगिनी चंद्रिका दीदी ने भी अपने विचार रखें.आपने बताया कि हम भारतवासियों की संस्कृति है प्रेम शांति और सद्भावना. आपने कार्यक्रम में पधारे हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया और उनके प्रति आभार प्रकट किया.
विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मेलन में पधारे हुए बॉलीवुड के सिंटा के सचिव हेमंत पांडे ने भी अपने विचार रखें.आपके बड़े ही क्रांतिकारी विचार सुनने को मिले. आपने कहा कि अपने अंदर हिम्मत पैदा करो धारा की विपरीत चलो संघर्ष करो और सफलता के शिखर पर जा पहुंचो. या फिर इतने सहज बन जाओ की हर रुकावट तुम्हारा सहयोग करें और तुम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लो.
अपने अंदर आत्म बल पैदा करके अपने विरोधियों को भी क्षमा करो और उसकी भलाई के लिए प्रार्थना करो. परमपिता परमात्मा ने ही हमें इस स्थान पर आने का अवसर दिया है.आने वाले तीन दिनों में यहां की शिक्षाओं को पूरी तरह आत्मसात करके उसे जीवन में धारण करने का प्रयत्न करिए.
बॉलीवुड के प्रख्यात लेखक एवं निर्देशक सूरज तिवारी ने भी अपने विचार रखे. आपने कहा किया आपकी जिंदगी में अचानक से कोई एक ऐसा पल आ सकता है जो आपके जीवन की दिशा को पूरी तरह सकारात्मकता की ओर पलट देता है.
हम सभी के जीवन में वह पल आ गया है जब हम यहांआए हुए हैं. हमें यहां ईश्वर द्वारा दी गई शिक्षाओं को अच्छी तरह प्राप्त करके उन शिक्षाओं को जीवन में धारण करना है.
टेलीविजन की प्रख्यात एक्ट्रेस नीलू कोहली ने भी अपनी बातें रखी. आपने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे मेरे अंदर 1000 वाट का बल्ब जल गया है.
अद्भुत खुशी और आनंद की अनुभूति हो रही है यहां.
कुछ दिनों पहले मैं हताशा और निराशा के गर्त में समाई हुई थी.तभी ब्रह्मकुमारी के संपर्क में आने का मौका मिला. मैं सम्मेलन में आई हूं एक स्टूडेंट बनकर.
मुझे यहां से बहुत कुछ लेकर के जाना है. मेरा अनुरोध है कि मेरी मदद करें मुझे सिखाएं.
बॉलीवुड की एक्ट्रेस अंजली अरोरा ने भी अपने विचार रखें. आपने बताया कि सम्मेलन में सिंटा के 25 से भी अधिक सदस्य आए हुए हैं.आपने विश्वास प्रकट किया की तीन दिन के इस सम्मेलन के बाद जब आप लौट कर जाएंगे तो आपका व्यक्तित्व खिल चुका होगा और आप दोबारा से यहां आने की कामना मन में करने लगेंगे.
कला एवं संस्कृति प्रभाग के उपाध्यक्ष राजयोगी दयाल भाई ने आए हुए सभी सदस्यों का हार्दिक स्वागत किया. अपने कामना किया कि यहां दी जा रही शिक्षाओं को सारे सदस्य अच्छी तरह सुने और अपना ले.
भावनगर से पधारी हुई राजयोगा की शिक्षिका ब्रह्मा कुमारी तृप्ति बहन ने पधारे हुए सभी लोगों को
आत्मा अनुभूति करवाई और ध्यान पर प्रकाश डालते हुए ध्यान का अभ्यास भी करवाया.
कला एवं संस्कृति प्रभाग के राष्ट्रीय संयोजक ब्रह्मा कुमार सतीश भाई जी ने पधारे हुए अतिथियों को धन्यवाद दिया उनके प्रति आभार प्रकट किया.
करनाल से पधारी हुई वरिष्ठ राजयोगिनी प्रेम दीदी ने आज के कार्यक्रम का संचालन किया.