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Haryana

Closing Session of Three Day Grand Convention on Shrimad Bhagwat Geeta in ORC

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Many saints and eminent scholars participated in the Grand Convention on Shrimat Bhagwat Geeta held at Om Shanti Retreat Center, Gurugram, Haryana.
Gita needs to be revealed through our behaviour –  Jagat Guru Shankaracharya Shri Swami Swaroopanand Ji Maharaj
Rajyoga is the way to establish connection with the Supreme – Shri Gopal Krishnaji Maharaj
Bharat can become World Guru through the knowledge of Gita – Dr.Shri Prakash Mishra
 
 
ओआरसी में तीन दिवसीय गीता महासमेलन का समापन
 
गीता हमारे आचरण से प्रत्यक्ष होनी चाहिए – स्वामी शिव स्वरूपानन्द जी
राजयोग ही परमात्मा से जुडऩे का माध्यम है  – श्री गोपाल कृष्णा जी महाराज
गीताज्ञान से ही बनेगा भारत विश्व गुरू – डाø श्री प्रकाश मिश्रा 
आध्यात्मिक मूल्यों के समावेश से ही मिलेगी जनहित कार्यांे में सफलता 
 
२८ जनवरी २०१८, गुरूग्राम 

ज्ञान सुनना और सुनाना तो बहुत आसान है लेकिन उसे जीवन में उतारना बहुत जरूरी है। जब ज्ञान हमारे आचरण में समा जाता है तो फिर हमें दूसरों को कहने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती। गीता हमारे आचरण से प्रत्यक्ष होनी चाहिए। उ1त विचार ब्रह्माकुमारीज़ के भोड़ाकलां स्थित ओम् शान्ति रिट्रीट सेन्टर में आयोजित तीन दिवसीय गीता महास6मेलन के समापन सत्र में जोधपुर से पधारे आचार्य पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर श्री श्री १००८ डा

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स्वामी शिवस्वरूपानन्द सरस्वती जी(श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी) ने व्य1त किये। स्वामी जी ने कहा कि आज हम नदियों में स्नान करने से समझते हैं कि हमारे पाप धुल गये हैं लेकिन पानी तो स्थूल तत्व है। पानी से हम इस शरीर की गन्दगी साफ कर सकते हैं आत्मा की नहीं। वास्तव में ये नदियां तो हमारी चैतन्य नदियों अर्थात् उन माताओं-बहनों की यादगार हैं जो अपने आचरण और व्यवहार से लोगों को पावन बनने की प्रेरणा दे रही हैं। 

 
हैदराबाद से पधारे साईं बाबा पीठ के पीठाधीश स्वामी श्री गोपाल कृष्णा जी महाराज ने कहा कि राजयोग ही वास्तव में हमें परमात्मा से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि मैं अनेक स्थानों पर गया लेकिन जिस गहन शान्ति का अनुभव मुझे ब्रह्माकुमारीज़ में आकर हुआ वो अविस्मरणीय है। स्वामी जी ने कहा कि आत्मिक स्मृति से ही जीवन में शान्ति ,प्रेम एवं खुशी की अनुभूति हो सकती है।
 
कुरूक्षेत्र से पधारे कुरूक्षेत्र संदेश पत्रिका के मु2य संपादक डाø श्री प्रकाश मिश्रा ने अपने व1तव्य में कहा कि गीताज्ञान के द्वारा ही भारत फिर से विश्व गरू बन सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय सरकार व गैर सरकारी संगठनों के द्वारा जो भी जनहित के कार्य हो रहे हैं, उनमें आध्यात्मिक मूल्यों के समावेश से ही सफलता प्राप्त हो सकती है।
 
ब्रह्माकुमारीज़ के अतिरि1त महासचिव बृजमोहन जी ने कहा कि हम सभी कहते हैं कि एक परमात्मा ही सत्य है इसलिए सत्य की खोज अर्थात परमात्मा की खोज। उन्होंने कहा कि आज हम जो भी त्योहार मनाते हैं वास्तव में सभी परमात्मा के दिव्य कर्8ाव्यों की ही यादगार हैं। वर्तमान समय की जो परिस्थितियां हैं, उनका समाधान केवल परमात्मा की श1ित के द्वारा ही हो सकता है।
 
ओआरसी की निदेशिका आशा दीदी ने अपने आर्शीवचन में कहा कि गीता का ये महास6मेलन हरियाणा की धरती पर इसलिए भी हो रहा है 1यों हरियाणा अर्थात जहाँ हरि का आना होता है। उन्होंने कहा कि परमात्मा ने गीताज्ञान किसी स्थूल युद्ध के लिए नहीं दिया। वास्तव में गीता में वर्णित युद्ध मनुष्य आत्मा के अन्दर काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार से लड़कर उन पर विजय प्राप्त करने का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि गीता हमें स6पूर्ण अङ्क्षहसा का पाठ सिखाती है। उन्होंने कहा कि शरीरों को खत्म करने से पाप खत्म नहीं होते, पाप कर्म तो आत्मा में निहित रहते हैं। आत्मा जब दूसरा जन्म लेती है तो उसमें फिर से वही संस्कार प्रत्यक्ष होने लगते हैं। इसलिए परमात्मा ने गीताज्ञान मनुष्य आत्माओं के संस्कार परिवर्तन के लिए दिया है।
 
राजø माउण्ट आबू से पधारे बीø केø रामनाथ ने अपने जीवन के अनुभवों के आधार से बताया कि उन्होंने अपने जीवन में परमस8ाा परमात्मा को बहुत नजदीक से देखा है। उन्होंने कहा कि बचपन से ही वो गीता, रामायण एवं महाभारत का अध्ययन करते थे लेकिन परमात्मा के बारे में उन्हें कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली। उन्होंने कहा कि जब मैं पहली बार माउण्ट आबू गया तो मुझे परमात्मा के सत्य स्वरूप का अनुभव हुआ और मैं लगातार एक वर्ष तक वहाँ रहा।
 
मु6बई से पधारे गीता के विद्वान राजीव गुप्ता ने अपने विचार स्पष्ट करते हुए कहा कि पाप वास्तव में पांच विकारों के वशीभूत होकर किए गये कर्मों का परिणाम है। इसलिए अगर हमें पापों से मु1त होना है तो उसके लिए पहले इन विकारों से मु1त होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ज्ञान ही एक ऐसी पवित्र औषधि है जो आत्मा को पवित्र बनाती है।
 
कार्यक्रम में अनेक व1ताओं ने अपने विचार रखे जिनमें प्रमुख रूप से कुरूक्षेत्र संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोø एसø एमø मिश्रा, उड़ीसा से श्री जगतन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति अलेखाचन्द्र सारंगी, प्रसिद्ध गीता विश£ेशिका डाø पुष्पा पांडे, गुलबर्गा, से बीø केø प्रेम सिंह, धारवाड़ से डाø बासवराज, इलाहबाद से पधारी बीø केø मनोरमा एवं अन्य। कार्यक्रम में अनेक संगोष्ठियों का भी आयोजन हुआ। कार्यक्रम का संचालन कर्नाटक से पधारी बीø केø वीना ने किया। कार्यक्रम में दिल्ली एवं एनसीआर से काफी सं2या में गीता प्रेमियों ने भाग लिया।
 
 
कैप्शन:- १.  श्री श्री १००८ स्वामी शिवस्वरूपानन्द जी सरस्वती
            २.  श्री गोपाल कृष्ण स्वामी
            ३.  आशा दीदी
            ४.  बृजमोहन जी            
            ५.  डाø श्री प्रकाश मिश्रा
            ६.  बीø केø रामनाथ
            ७.  बीø केø वीना          
            ८.  राजीव गुप्ता
            ९. डाø पुष्पा पांडे
           १०. बीø केø मनोरमा
           ११. डाø अलेखाचन्द्र सारंगी
           १२. कार्यक्रम में अपस्थित जनसमूह
           १३. मंचासीन व1तागण
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