ग्वालियर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, सम्मेलन के मुख्य अतिथि राम शंकर सिंह ने कहा की इस ग्रह पर जीवन का अस्तित्व अरबों वर्षों से है। करोड़ों प्राणी इस पृथ्वी नामक ग्रह पर निवास करते हैं। मगर मात्र इंसान ही ऐसा प्राणी है जो अपनी बेहतरी के लिए यहां अपने मस्तिष्क का प्रयोग करता है। भारत वर्ष एक ऐसा देश है जहां हर बात में अनेकता है मगर फिर भी यहां के लोग सनातन काल से मिल जुल कर प्रेम से रहते हैं। यही विशेषता है इस देश की। स्वर्णिम भारत रुपी विषेशन इसके लिए उचित है।
सत्य एक है मगर विद्वान् जन इसकी व्याख्या अलग अलग तरीकों से करते हैं। आज सत्य को छुपाने और हिंसा को प्रसारित करने का प्रयत्न जारी है। इसके लिए मुख्य रूप से तकनीक जिम्मेवार है। हिंसा से मुक्ति कैसे मिले और सत्य को कैसे स्थापित क्या जाए – यह एक मुख्य चिंता की बात है। सत्य के काले बादलों का नाश ब्रह्मा कुमारियाँ करेंगी , ऐसा मेरे विश्वास है। यहां शांति -प्रेम और अहिंसा का सह अस्तित्व मैं देख पा रहा हूँ. आप सभी युव जनों से मेरा अनुरोध है कि स्वयं के अंदर प्रेम की ज्योति को सदैव जलाते रहना। माँ , बाप , भाई , बहन और और पूरी दुनिया को भर पूर प्रेम करना।
युवा सेवा प्रभाग की उपाध्यक्ष राजयोगिनी चन्द्रिका दीदी ने अध्यक्षीय प्रवचन दिया। आपने कहा की यहां एक अव्यक्त सत्ता हम सभी को अनवरत निहार रही है और वह सत्ता है ईश्वरीय सत्ता। यह सच है की हम सभी उनको नहीं देख पा रहे , मगर उनकी यहां लगातार उपस्थिति है। अब हमारा प्रयत्न ऐसा रहे की हम सभी उस अव्यक्त सत्ता को यहां महसूस कर सकें। उस महसूसता से ही हम सभी को जीवन की एक नई दिशा मिलेगी। हमारा यह जीवन काफी मूल्यवान है। अतः हम सभी को अपने जीवन को दो चार मूल्यों से अवश्य संवारने का यत्न करना चाहिए। एक तो समय का मूल्य समझ कर उसकी कदर करना परम आवश्यक है। दूसरे जीवन में सदैव सकारात्मकता बनी रहनी चाहिए। सत्य और प्रेम के बिना तो जीवन सूना है ही।
प्रभाग की क्षेत्रीय संयोजक राजयोगिनी प्रभा दीदी ने भी अपने उदगार रखे। आपने कहा की हर कोई जीवन में उमंग और उत्साह की कामना रखता है। हमारा यह सम्मेलन इसी लक्ष्य को लेकर आयोजित किया गया है। ज्ञान सरोवर का यह प्रांगण उमंग और उत्साह से भरपूर है तथा ज्ञान और शान्ति का यह एक कुंड है। सभी युवा प्रतिनिधियों को आने वाले तीन दिनों में यहां की ऊर्जा को आत्म सात करना है और अपने जीवन को मूल्य वान बनाना है।
युवा सेवा प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजक ब्रह्मा कुमारी कृति बहन ने भी सम्मेलन को सम्बोधित किया। आपने कहा की आज का युवा एक दोराहे पर खड़ा है और तय नहीं कर पा रहा है की उसे किस दिशा में जाना है। हम इस सम्मेलन के माध्यम से उनको दिशा देना चाहते हैं। हम अनेक वर्षों से युवाओं को उनकी क्षमता के अनुसार विकास करने और साथ ही साथ योग के मार्ग पर चलते रहने की प्रेरणा प्रदान करते आये हैं। युवाओं के जीवन को भारतीय संस्कृति के अनुसार मूल्यों से युक्त करना ही हमारा लक्ष्य है।
युवा सेवा प्रभाग के मुख्यालय संयोजक राजयोगी आत्म प्रकाश जी ने पधारे हुए सभी प्रतिनिधिओं का हार्दिक स्वागत किया। बी के रोहित भाई ने सर्व को धयवाद दिया। बी के जीतू ने कार्यक्रम का संचालन किया। सम्मेलन के प्रारम्भ में डॉक्टर बी के दामिनी एक सुंदर स्वागत गीत प्रस्तुत किया।