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Famous TV actress Aastha Chaudhary shared her life experiences

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व्यापार एवं उद्योग प्रभाग का चार दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित- प्रसिद्ध टीवी अभिनेत्री आस्था चौधरी ने अपने जीवन के अनुभव साझा किए-

हमारी जिंदगी में आध्यात्मिक सशक्तिकरण बहुत जरूरी है: अभिनेत्री आस्था चौधरी

– व्यापार एवं उद्योग प्रभाग का चार दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित
– देशभर से चार हजार से अधिक उद्योगपति एवं व्यापारी पहुंचे
– प्रसिद्ध टीवी अभिनेत्री आस्था चौधरी ने अपने जीवन के अनुभव साझा किए

आबू रोड। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मुख्यालय शांतिवन के डायमंड हॉल में व्यापार एवं उद्योग प्रभाग द्वारा चार दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी व अन्य अतिथियों ने किया। आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा व्यापार और उद्योग में सफलता विषय पर आयोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर से चार हजार से अधिक व्यापारी और उद्योगपतियों ने भाग लिया।

सम्मेलन में मुंबई से आईं प्रसिद्ध टीवी अभिनेत्री आस्था चौधरी ने कहा कि हमारी जिंदगी में आध्यात्मिक सशक्तिकरण बहुत जरूरी है। इससे हमारा दृष्टिकोण बदल जाता है। मैं खुद रोज एक घंटा योग और मेडिटेशन करती हूं। ब्रह्माकुमारीज़ में सिखाया जाता है कि व्यस्त दिनचर्या के बीच हमारे खुद के लिए समय जरूर निकालना चाहिए। किसी परिस्थिति को हम बदल नहीं सकते हैं लेकिन हम खुद को बदल सकते हैं। जब हम शांत और मजबूत होते हैं तो हर परिस्थिति से बाहर निकल सकते हैं।अध्यात्म  के समावेश से व्यापार में मिलेगी सफलता-
जयपुर से आए उद्योगपति व व्यापार एवं उद्योग प्रभाग के अध्यक्ष बीके एमएल शर्मा ने कहा कि मैं खुद को भाग्यशाली समझता हूं कि संस्थापक ब्रह्मा बाबा से मिलने का मौका मिला। उनसे यह आध्यात्मिक ज्ञान लिया। बाबा ने सिखाया कि खुद को आत्मा समझ कर परमपिता शिव बाबा को याद करना है। जब से मैंने राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास अपने जीवन में किया है तब से दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की की है। सदा हर पल परमात्मा का साथ मिला है। जितना त्याग ब्रह्मा बाबा ने किया है इतना त्याग कोई कर नहीं सकता है। मेरे जीवन का अनुभव है कि जीवन में अध्यात्म के समावेश से हम व्यापार और उद्योग में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।सुप्रीम पावर से जुड़ा रहे कनेक्शन-
मुंबई से आए निजी कंपनी के सीईओ हरीश मेहता ने कहा कि इस ज्ञान को जीवन में धारण करने के बाद हम देवता बन सकते हैं। जब हम दुख की दुनिया से निकल सुख की दुनिया, सतयुगी दुनिया में जाएं तो देवता बन जाएंगे। इसकी शुुरुआत हमें खुद से करना होगी। यहां शिक्षा दी जाती है कि कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो और सोच-समझकर बोलो ताकि बाद में समस्या का सामना न करना पड़े। हमारा व्यक्तित्व ऐसा हो कि सुख-दुख, मान-हानि, लाभ-हानि में हम एक समान रहें। यह तभी संभव है जब हमारा कनेक्शन निरंतर सुप्रीम पावर परमात्मा से जुड़ा रहेगा। प्रभाग की मुख्यालय संयोजिका बीके गीता दीदी ने कहा कि यहां तीन दिन तक आप सभी ने जो आध्यात्मिक ज्ञान और शिक्षा ली है उसे अपने जीवन में धारण करेंगे तो अपने व्यापार और निजी जीवन में आगे बढ़ेंगे, सुखी रहेंगे। राजयोग मेडिटेशन सीखने के बाद जीवन से जुड़ी हर समस्या का समाधान मिल जाता है। मधुरवाणी ग्रुप ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। संचालन मुंबई की बीके अमृता बहन ने किया। इस दौरान ब्रह्माकुमारीज़ की 88 वर्षों की यात्रा पर बनी डाक्यूमेंट्री भी दिखाई गई।

 

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